Moral stories / Bodh katha - बंदर और टोपीवाले की कहानी
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बंदर और टोपीवाले की कहानी
The Monkey And The Cap Seller Story
बहोत साल पहले की कहानी है। एक गांव में निर्मल नाम का एक गरीब दर्जी रहता था। वह बाजार से रंग-बिरंगी कपडा लेकर उसकी टोपियां बनता था और टोपियाँ बेचकर ही अपना गुजारा करता था। बंदर और टोपीवाले की कहानी एक बड़ी सी टोकरी में रंग-बिरंगी टोपियाँ लेकर वह रोज़ सुबह घर से निकल जाता और गांव-गांव जाकर बेचा करता था और शाम होते घर आता था।
एक दिन निर्मल एक दूर के गांव में टोपियाँ बेचने गया। दोपहर का समय था और वह थका हुआ था। इसलिए आराम करने के लिए, एक बड़ा सा पेड़ देखकर उसकी छांव में बैठ गया। बंदर और टोपीवाले की कहानी अपनी टोपियों की टोकरी उसने एक तरफ रख दी और थोड़ा लेट गया। थके होने के कारन थोड़ी ही देर में वह गहरी नींद में सो गया।उसी पेड़ पर बंदरों का एक समूह रहता था। उन्होंने नार्मल को देखा और वे पेड़ से नीचे उतर आये और टोकरिमें से टोपियाँ निकालकर पहन ली और टोपियां पहनकर वे उछल-कूद मचाने लगे, जिससे निर्मल की नींद खुल गई और सभी बन्दर टोपियाँ लेकर पेड़ पर भाग गए।
उसने ऊपर देखा, पेड़ के ऊपर बहुत सारे बंदर टोपियाँ पहनकर बैठे हुए हैं। उसकी टोपियों की टोकरी खाली थी। अब क्या करे, उसने बहुत तरह के उपाय किये बंदरों से टोपियाँ हासिल करने की, वह सोचने लगा और इधर उधर फेरे मारने लगा तो देखा कि बंदर भी उसकी तरह कर रहे है। यह देखकर निर्मल को समझ आ गया कि बंदर अपनी नकल रहे है।
बंदर और टोपीवाले की कहानी निर्मल को एक उपाय सूझा और उसने अपनी टोपी उतार कर टोकरी में फेंक दी। यह देख सारे बंदरों ने भी अपनी टोपियाँ निकाली और उस टोकरी में फेंकने लगे।
जब सारी टोपियां टोकरी में इकठ्ठी हो गई, तो निर्मल ने जल्दी से अपनी टोकरी उठाई और वहाँ से तुरंत चला गया।
बोध : चतुराई से हर समस्या का समाधान हो जाता है।
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