Moral stories / Bodh katha - हाथी और चिड़ियाँ की कहानी

Moral stories / Bodh katha हाथी और चिड़ियाँ की कहानी  The Sparrow And The Elephant चिंदरबन के जंगल में एक पेड़ पर घोंसले में चिऊ चिड़ियाँ और उसका पति काऊ दोनों एक साथ आनंद से रहते थे। कुछ दिन के बाद चिऊ ने अंडे दे दिए। दोनों बहोत ख़ुशी में थे। एक दिन काऊ चिऊ के लिए खाने का बंदोबस्त करने गया क्योंकि चिऊ अंडे से ने के लिए बैठी, वो उठ नहीं सकती थी। वही पेड़ के निचे से एक बड़ा हाथी हररोज तालाब में पानी पिने के लिए जाता था लेकिन वह बहुत बड़ा और अड़ियल होने से अजु बाजु के पेड़ पौंधो को नुकसान पहुंचता था, तभी उसे डरकर कोई उसे बोल नहीं पता था। उस दिन वह हाथी आया और चिऊ जहाँ बैठी थी वह पेड़ पर सूंड मरकर पेड़ हिला रहा था। तब चिऊ ने उसे कहा, "ओ, हाथी भैय्या कृपा करके पेड़ को नुकसान मत पहुँचाना मेरा घोंसला और उसमे अंडे है मेरे।" हाथी और चिड़ियाँ की कहानी   उसपर हाथी को बहुत गुस्सा आया उसका अहंकार जाग उठा, और चिऊ को बोला, "तुम्हारी इतनी हिम्मत के तुम मुझे बोल रही हो, इतनी पिद्दी सी होकर भी." और ऐसा कहकर उसने वह पेड़ जो जोर से हिलाया और वहां से चला गया। लेकिन हाथी ने पेड़ हिलाया उसमे चि

Moral stories / Bodh katha - सुनो सब की करो मन की / The Man, the Boy, and the Donkey story

सुनो सब की करो मन की The Man, the Boy, and the Donkey story


 
सुनो सब की करो मन की

The Man, the Boy, and the Donkey story

किसी गाँव में, एक किसान अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रहता था। उसके पास एक गधा था। गरीब लेकिन संतुष्ट परिवार था। एक बार गाँव में अकाल पड़ा। परिवार भूखों मर रहा था। उस किसान ने गधे को बेचने का फैसला किया। पिता और पुत्र गधे को लेकर बाजार गए। 

इसी दौरान उनकी मुलाकात कुछ गांववालों से हुई। उनमे से एक ने किसान से कहा, "अरे भाई, आप उस गधे को क्या सैर करवाने जा रहे हैं? आप में से कोई तो इस पर बैठ जाना चाहिए।" पिता ने लड़के से कहा, "बेटा, तुम छोटे हो और धुप भी ज्यादा है, इसलिए तुम गधे पर बैठ जाओ।" लड़का गधे पर बैठ जाता है। 

थोड़ी देर चलने के बाद, कुछ और गाँववाले मिलते हैं। वे गधे पर बैठे लड़के को देखते हैं और चिल्लाते हैं, "अरे मूर्ख, बूढ़ा पिता धूप में नंगे पैर चल रहा हैं और तुम राजा की तरह गधे पर बैठे हो। कुछ शर्म कर?" वह लड़का शर्म से अपने पिता से गधे पर बैठने के लिए कहता है। फिर पिता की गधे पर सवारी शुरू होती है, और बेटा पैदल। 

थोड़ी दूरी पर और कुछ और गाँववाले मिलते हैं। पिता और पुत्रों की इस जोड़ी को देखकर ताने मारते है, "ये देखो लो भाई इतना बड़ा आदमी गधे पर बैठा है और बेटा धुप में चल रहा है। यह सुनकर वह किसान शर्म से गधे को रोकता है और लड़के से कहता हैं, "बेटा, चलो हम दोनों गधे पर बैठेंगे तो हमे बोलेगा नहीं।" फिर वे दोनों गधे पर बैठते हैं और अगली यात्रा शुरू होती है। आगे चलते ही कुछ गाँववाले दूर से ही इन दोनों पर चिल्लाते है। "अरे, तुम लोग इंसान हो या हैवान? उस गूंगे जानवर की जान लेंगे क्या? अरे कुछ तो शर्म करो?" 

दोनों बाप बेटे शर्म से निचे उतर गए। तब उन्होंने फैसला किया कि अगर हम में से कोई भी गधे पर बैठे या न बैठे फिर भी लोग ताने मारते है तो इस से अच्छा है की गधे को ही अपने कंधों पर उठाकर बजार ले जायेंगे। उन्होंने गधे के हाथ और पैर बांध दिए और उसे अपने कंधों पर लेकर चले। आगे फिर से कुछ गाँववाले मिले। इन बाप-बेटे पर जोर-जोर से हंसते हुए बोले, "वास्तव में तुम लोगों में से गधा कौन है ? इतना भी नहीं समझते की गधे को पैदल ले जाने के बजाय, उसे सिर के बल उठाकर ले जा रहे हो, हा s s हा s s  हा s s कितने मुर्ख हो?" 

अब पिता और पुत्र दोनों तंग आ गये। उनको यह समझ आयी की अगर हम कुछ भी करेंगे तो भी लोग हमे बुरा भला कहेंगे। हम सभी को खुश नहीं कर सकते और उन्होंने ठान लिया की अब 'सुनो सब की करो मन की।

बोध : दोस्तों!! हम सबको खुश नहीं कर सकते, लोगों की सलाह तो जरूर लेने का लेकिन अंतिम निर्णय, खुद को जो अच्छा लगे।

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