विक्रम और बेताल की कहानी 06
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विक्रम और बेताल की कहानी 06
पत्नी किसकी ?
बेताल,
राजा विक्रम के
कंधे से उड़कर फिर से
जाकर पेड़ पर जा लटका
फिर से राजा विक्रम ने
बेताल को पेड़ से निकाला
और चल पड़ा तब बतल
बोल पड़ा "राजा
तुम फिर आ गए? सुन
तुम्हे एक और कहानी सुनाता
हु।"
पाटलिपुत्र
नाम की एक नगरी थी।
एक दिन सूर्यमल
और उसका मित्र
चन्द्रसेन उस नगर
में आया। उस नगर में
एक बहुत खूबसूरत
मंदिर था। उनकी नजर देवी
के मन्दिर में
पड़ी। उसने देवी
को प्रणाम करने
का इरादा किया।
उसी समय सूर्यमल
को मंदिर में
एक सुन्दर लड़की
दिखाई दी। उसे देखकर वह
इतना पागल हो गया की
उसने खाना-पीना
छोड़ दिया। बस
उसी लड़की में
खोया रहता था।
चन्द्रसेन को रहा
नहीं गया उसने
सूर्यमल से इस बारे में
पूछा तो सारी कहानी सूर्यमल
ने बता दी चन्द्रसेन ने उसे कहा बस
इतनी सी बात, हम कल
उस लड़की के बाप से
मिलने जायेंगे।
अगले
दिन दोनों सुबह
उठकर उस लड़की के घर
चले गए। सूर्यमल
ने सारी बात
लड़की के पिता को कही।
पता चला उस लड़की का
नाम चन्द्रकला है
और वह देवी की परम
भक्त थी। उस लड़की के
पिता शादी के लिए राजी
हुए और सूर्यमल
और चन्द्रसेन की
शादी करा दी।
अगले
दिन सूर्यमल और
चन्द्रसेन और चन्द्रकला
अपने ससुराल विदा
हो गए। वे जंगल के
रस्ते चल रहे थे तब
लुटेरों ने उनपर हमला कर
दिया उस हमले में चन्द्रकला
बेहोश हुई। लुटेरों
ने सूर्यमल और
चन्द्रसेन की गर्दन
उड़ा दी और सारा धन
और जवाहरात लूट
कर चले गए। कुछ देर
के बाद चन्द्रकला
को होश आ गया उसने
देखा की उसके पति और
दोस्त के सर धड़ से
अलग गिर गए है। वह
रोने लगी और देवी माँ
की आराधना की
उससे देवी प्रसन्न
हो गयी वर मांगने को
कहा तो उसने वर माँगा
की इन दोनों
को फिर से जीवन दे
दो। देवी ने कहा ठीक
है तुम उनके
सर जोड़ देना
वे जिन्दा हो
जायेंगे चन्द्रकला ने
वैसा ही किया लेकिन उसने
सब गड़बड़ी में
सिर गलत लगा दिए उसने
सूर्यमल का सिर चन्द्रसेन को और चन्द्रसेन का सिर सूर्यमल को लगा दिया चन्द्रकला
को पछतावा हुआ।
इतनी
कहानी सुनाते ही
बेताल ने विक्रम
से पूछा, " विक्रम
उस लड़की से तो गलती
हो गयी उसने
सिर की अदला बदली की
लेकीन चन्द्रकला अब
पति कौन होगा?
अगर तुमने जवाब
नहीं दिया तो तुम्हारे सर के सौ टुकड़े
होंगे। राजा
ने कहा, "नदियों
में गंगा उत्तम
है, पर्वतों में
सुमेरु, वृक्षों में
कल्पवृक्ष और मानव
के अंगों में
सिर। इसलिए शरीर
पर पति का सिर लगा
हो, वही चन्द्रकला
का पति होना
चाहिए।" इतना सुनकर
बेताल बोला "वा!
राजा तू सच में बुद्धिमान
और न्यायी राजा
है लेकिन तुम
बोले और मै चला।" और बैताल फिर से पेड़ पर जा लटका।
क्रमंशः
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