Moral stories / Bodh katha - हंस और मूर्ख कछुआ की कहानी
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Moral stories / Bodh katha
हंस और मूर्ख कछुआ की कहानी
The Tortoise and The Swans
चिंदरबन जंगल में बीचों बीच एक सुन्दर गहरा और बड़ा तालाब था। उस तालाब में दो हंस और एक कछुआ अच्छे दोस्त थे। हंस और मूर्ख कछुआ की कहानी और हसते-खेलते रहते थे। वह दिन भर खाना ढूंढ़ने जाते थे। और शाम को लौटकर मजा-मस्ती और इधर-उधर की बातें करते थे। उस तालाब में पानी हमेशा भरा रहता था, वहां कभी भी आकाल नहीं पड़ा। वह तीनो और बाकी जीव बाड़े आनंद से वहां रहते थे।
मगर एक साल ऐसा हुआ, वहां पर बारिश कम गिरी और सर्दी के मौसम के बाद गर्मी के मौसम में सूरज बहुत तेज हुआ सारा पानी भांप होकर वह तालाब सुख रहा था। हंस और मूर्ख कछुआ की कहानी बहोत सारा पानी कम हो गया, मछलियाँ मर रही थी, थोड़ा सा ही पानी बच गया था। वह भी कुछ दिनों बाद खत्म होने वाला था। अब दोनों हंस दूसरी जगह पानी का तालाब देखने गए तो उन्हे दूर के जंगल में तालाब मिला, उस तालाब में बहुत सारा पानी था। हंस फौरन लौट आये और कछुऐ से बोले, ''हमें पानी से भरा एक तालाब मिला, वह बहुत बड़ा और गहरा है, परंतु एक दिक्कत है, हम दोनों तो जा सकते है वहा पर लेकिन तुम कैसे चलोगे वहां, तालाब बहुत दूर है। हंस और मूर्ख कछुआ की कहानी ''यह बात सुनकर कछुआ दुःखी हुआ और रोने लगा ,हंसो ने उसको दिलासा दिया की हम लोग कुछ तरकीब निकालेंगे, वह तीनो सोच में पड गये, कुछ देर बाद एक हंस ने एक उपाय सुझाया की 'हम दोनों एक बड़ी लंबी लकड़ी चोंच में रखकर और कछुआ बीच में अपने दांत से वह लकड़ी पकड़ कर हम उसे ले जायेंगे। इस तरकीब पर सब सहमत हुये। बाद में इस तरकीब पर एक हंस ने एक लंबी लकड़ी ली और कहां, "कछुऐ भैय्या, एक बात ध्यान रखना जब हम उड रहे होंगे तब तुम चुपचाप बैठ जाना, जरा भी मुँह नहीं खोलना, क्योंकी तुम बोलते ज्यादा हो, अगर बोलोगे तो मरोगे, ख्याल रखाना।" हंस और मूर्ख कछुआ की कहानी कछुआ बोला "हाँ भैय्या जरूर, मैं चुप रहूँगा कुछ भी नहीं बोलूंगा।" और दोनों कछुए को लेकर वहां से उड़ गए।
उन हंसो ने उँची उड़न भरी वह सब बहुत उंचाई पर उड रहे थे। कुछ देर बाद आगे एक गांव लगा गांव सब लोगों ने उनको देखा सब हैरान हो गये, उड़ने वाला कछुआ देख कर निचे से जोर-जोर से चिल्लाने लगे, 'उड़ने वाला कछुआsss उड़ने वाला कछुआ,' यह सब कछुआ सुन रहा था। हंस और मूर्ख कछुआ की कहानी तब उसे रहा नहीं गया और उनको कुछ जवाब देने के लिए मुँह खोला और जैसे ही कछुए ने मुँह खोला उस लकड़ी से वह छुट गया और हजारो फिट की ऊँचाई से गिर कर टुकडे - टुकडे होकर उसकी मौत हो गई। दोनों हंसों को बहुत बुरा लगा। वह अपने अच्छे मित्रो ने दी सावधानी भूल गया उसका परिणाम उसे मिल गया।
बोध : अपने करीबी दोस्त
और चाहने वाले लोगो की कही गई सलाह या चेतावनी को कभी भी अनसुना मत करना।
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