Moral stories / Bodh katha - तीन गाय और शेर
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
Moral stories / Bodh katha
गाय और शेर
Three Cows And The Lion In Hindi
चिंदरबन
के जंगल में एक हरा-भरा और ताजा चारागाह था, जिसमें तीन गायें रहती थीं, एक सफेद गाय,
एक काली गाय और एक लाल-भूरी। वे अच्छी जिगरी दोस्त थी, वे हमेशा एक साथ रहती थी, एक
साथ घास चरने जाती थी और एक साथ ही सोती थी, कभी अलगनहीं होती और उनमे कभी झगड़ा भी
नहीं होता था।
एक
दिन ऐसा हुआ, उस रास्ते से एक लाल - भूरा रंग का शेर चरागाह से गुजरा, वह शिकार की
तलाश में था और बहुत भूखा था। तीन गायों देख के खुश हुआ। लेकिन शेर उनको खा नहीं सकता
था क्योंकी वे एक साथ थी। शेर वहीं पर एक कोने में बैठा रहा जब तक गाय एक दूसरे से
अलग नहीं हो जाती। गाये
जानती थी अगर वे एक दूसरे के साथ रहेगी तो कोई शिकारी जानवर उनका शिकार नहीं कर सकता।
शेर वही चरगाह में दो-तीन दिन लेटा रहा। लेकिन तीनो गाय एक साथ रही अलग नहीं हुई, अब
शेर परेशान हुआ।
अगले
दिन शेर ने एक योजना बनाई। शेर गायों के पास गया और कहा, "कैसे हो दोस्तों, सब
ठीक है ना? बहोत दिन से मैं आपको याद करते आ रहा हु, लेकिन मैं काम में बहुत व्यस्त
था इसलिए आप लोगों का हाल-चाल पूछने का वक्त नहीं मिला। इसलिए मैं
आज वक्त निकालकर आपके यहाँ आया हु।" लाल-भूरी
गाय ने कहा, "महाराज, आपके आने से हमारा चरागाह उजल पड़ा है। शेर ने कहा,
"आपको मैंने हमेशा याद किया है आपके लिए इससे बेहतर चरागाह बनाने का आदेश दिया
है।" लाल-भूरी गाय ने कहा, महाराज, सच में आपने हमारा बाहुत ख़याल किया है, हम
आपकी बहुत आभारी हूँ।" लाल-भूरी
गाय का शेर से बात करने पर दोनों, सफ़ेद और काली गाय नाराज हो गयी, लाल-भूरी गाय शेर
की बाते क्यों मानती है। उन्हें डर लगा रहा की कही शेर उन्हें धोखा न दे। अब
शेर और लाल-भूरी गाय की दोस्ती दिनों दिन बढ़ती गयी। सफ़ेद और काली गाय ने उसे बहुत समझाया
लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ।
एक
दिन शेर ने लाल-भूरी गाय के से कहा, "तुम्हे पता है हमारे शरीर के रंग बहुत मिलते
- जुलते है इसलिए हमारी मित्रता हो गयी है, लेकिन तुम्हारी वो जो दो दोस्त गाय है ना
वे हमारी दोस्ती पर बहुत जलती है। सुना है, वे तुम्हे उस चरागाह से भगाने ने वाली है।"
लाल-भूरी गाय को शेर की बाते मान ली, उसके मन में जहर घुल चूका था। फिर शेर ने कहा,
"वो तुम्हे चरागाह से निकलने से पहले हम उनको वहां से भगाये तो कैसा होगा?"
लाल-भूरी गाय ने कहा, "लेकिन ये कैसे होगा?" शेर ने कहा, "तुम काली
गाय को बातो में उलझाए रखना और मैं सफ़ेद गाय को वहाँ से भगा दूंगा।" लाल-भूरी
गाय मान गयी।
अगले
दिन लाल-भूरी गाय ने काली गाय को बातो में उलझाए रखा और वहां शेर ने सफ़ेद गाय को चरागाह
से भगाया और दूर लेके वहां मारकर खा लिया। दो
दिन हो गए, लेकिन सफ़ेद गाय का पता नहीं चला, काली गाय अब बेचैन हो गयी। अब काली गाय
का की बारी थी। शेर ने मौका देख के काली गाय को भी मार डाला।
कुछ
दिन बीत गए लाल-भूरी गाय को लगता था की शेर उसे कुछ खतरा नहीं था। लेकिन वह दिन आ गया
शेर दहाड़ते- दहाड़ते लाल-भूरी गाय के पास आया और कहा, "आज तुम्हारी बारी है, तुम
खुद तैयार हो जाओ, मैं तुम्हें खाने जा रहा हूँ।" लाल-भूरी गाय भय और आतंक से
कहा: “महाराज, हमारे रंग बहुत मिलते - जुलते है और मैं आपकी दोस्त हूं। आपने जो कहा,
मैंने किया। तो आप मुझे क्यों खाना चाहते हो?" शेर
ने दहाड़ते हुए कहा: "दोस्त? कैसे संभव है कि एक शेर, एक गाय के साथ दोस्ती कर
सकता है? मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता और हाँ मैंने दोस्ती की तुम तीनो का शिकार करने
लिए।" गाय
ने कहा: “महाराज, कृपया मुझे खाने से पहले दो बार माफ़ी मांगने और रोने की अनुमति दें।" लाल-भूरी गाय ने सफेद गाय और काली गाय की माफी मांग ली और बहुत रो लिया। बाद
में शेर ने गाय पर हमला कर दिया और मारकर खा लिया।
बोध:
अपने शत्रु का अचानक से मीठा संवाद, अच्छे व्यवहार और अपने जिगरी दोस्तों प्रति मन
में जहर घोलने से तुरंत समझ जाना चाहिए की कुछ खतरा तो नहीं हैं?
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts. Please let me know