Moral stories / Bodh katha - नागराज और मतलबी किसान
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Moral stories / Bodh katha
नागराज और मतलबी किसान
The Snake And The Farmer Story In Hindi
एक दिन क्या हुआ जब श्यामू, नागराज को दूध देकर अगले दिन आया तभी खाली कटोरी में एक चमकदार असली मणि पाया वह आश्चर्यचकित हुआ। अब ऐसे ही हररोज होता था अब अब श्यामू के दिन बदल गए वह गरीब से आमिर बन गया। The Snake And The Farmer Story In Hindi एक दिन श्यामू को काम से कुछ हप्तों के लिए बाहर जाना था। उसने अपने बेटे से कहा की तुम रोज अपने खेत के बांध के बिल के बाहर हररोज कटोरी में दूध रख देना। अपने पिताजी की बाते मानकर उसने वैसे ही किया। वह रोज कटोरी में दूध लेकर जाता और अगले दिन एक मणि पा लेता था। उस मणि को हररोज पाकर उसके मन में लालच आ गया। The Snake And The Farmer Story In Hindi उसने सोचा इस नागराज के बिल के निचे जरूर कोई बड़ा धन छुपा होगा। मैं अगर नागराज को मार दू तो मुझे बहोत सारा छुपा धन मिलेगा। और दूसरे दिन उसने कटोरी में दूध लाया और नागराज के बिल के यहाँ रखा और वह बड़ा सा डंडा लेकर वहां आया और नागराज के आने का इंतज़ार करने लगा। जब नागराज दूध पिने आया तब डंडे से नागराज पे वार किया लेकिन नागराज ने खुद को बचा लिया और गुस्से में लाल होकर उस श्याम के लड़के को पैर में जोर से कांट लिया उसमे उस लड़के की मृत्यू हो गयी।
श्यामू जब घर लौट आया उसे इस बारे में खबर मिली उसे अपने बेटे की इस बर्ताव का बहुत बुरा लगा। The Snake And The Farmer Story In Hindi और इसके लिए अपने बेटे की तकदीर और लालच को दोष देकर दूसरे दिन दूध लेकर नागराज के बिल के यहाँ गया और उसे आकर दूध पिने की याचना की, नागराज बिल के बाहर आया और श्यामू से बोला, "क्यों ए यहाँ पर, मेरी और तुम्हारी दोस्ती अब से यही रहेगी चले जाओ यहाँ से।" श्यामू ने अपने बेटे से हुयी गलती पर क्षमा मांग ली। उसपर नागराज बोले, "तुम अपनी क्षमा याचना कर रहे हो लेकिन उसमे लालच छुपा है। तुम पहली बार जब मेरे लिए कटोरी में दूध लेकर आये तब तुम निस्वार्थ और मैत्रीपूर्ण भाव से मेरे पास आये थे। The Snake And The Farmer Story In Hindi तुम्हारे मन में कुछ भी नहीं था की दूध के बदले मैं तुम्हे कुछ दू। लेकिन जब से मैंने दूध के बदले तुम्हे अनमोल मणि भेट स्वरुप दिया है तब से तुम्हारे मन में लोभ उत्पन्न हुआ है नहीं तो तुम दो दिन भी नहीं हुआ तुम्हारे लाडले पुत्र को मरे हुए फिर भी तुम दूध लेकर मणि प्राप्त करने यहाँ आ गए हो। यह तो मतलब की दोस्ती है। और नागराज वहां से बिल में चला गया और श्यामू निराश होकर वही बैठ गया।
बोध: लालच और स्वार्थ भरी मित्रता ज्यादा देर तक नहीं टिकती, जल्दी ही टूट जाती है।
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