Moral stories / Bodh katha - अफ्रीकन कथा - मुर्ख दोस्त
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Moral stories / Bodh katha
अफ्रीकन कथा
मुर्ख दोस्त
अफ्रीका के एक घने जंगल में एक छोटासा लेकिन गहरा तालाब था और तालाब के बाजु में एक बड़ासा पेड़ था। तालाब में एक मेंढक रहता था। उस पेड़ के तने के छेद में चूहा रहता था। चूहा और मेंढक दोस्त थे। हर सुबह मेंढक अपने तालाब से बाहर निकलता और अपने दोस्त चूहे से मिलने जाता था और दोपहर को घर लौटता था।
चूहा अपने दोस्त की कंपनी में खुश था। लेकिन कुछ दिनों के बाद उनकी दोस्ती दुश्मनी में बदल रही थी। कारण क्या था? मेंढक को चूहे से परेशानी महसूस हुई, क्योंकि वह हर रोज चूहे से मिलने जाता था, लेकिन चूहे ने उसकी ओर से कभी भी मेंढक से मिलने की कोशिश नहीं की।
एक दिन मेंढक को लगा कि वह काफी अपमानित हो चुका है। जब चूहे के यहाँ से जाने का समय आया तब उसने अपने पैर को रस्सी बाँधी और रस्सी का दूसरा छोर चूहे की पूंछ को बांध दिया, और जोर-जोर से कूदकर जाने लगा और अपने साथ चूहे को भी ले गया।
मेंढक ने तालाब में गहरी डुबकी लगाई। चूहे ने खुद को रस्सी से मुक्त करने की बहुत कोशिश की, लेकिन जल्द ही वह डूब गया और उसका अंत होकर ऊपर तक तैर गया।
उसी वक्त आसमान में एक बाज़ चक्कर लगा रहा था उस बाज ने तालाब की सतह पर चूहे को तैरते हुए देखा। उसने झपट्टा मारा, और चूहे को अपने तालों में पकड़कर, पास के एक पेड़ की शाखा में उड़ गया। ज़ाहिर है, मेंढक भी पानी से बाहर आया था। उसने खुद को छुड़ाने की पूरी कोशिश की, लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ। जल्द ही उसके संघर्षों का अंत हुआ।
अफ्रीका में इसपर एक कहावत है 'अपने दुश्मन के लिए गहरा गड्ढा मत खोदो, तुम खुद उसमें गिर सकते हो।'
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